Blasphemous Aesthete · Anhalak

नींद से उठा तो हूं,
पर कुछ मद सा (अभी) छाया है

स्थिर चित में निरंकुश वेग,
जैसे पानी में उफान (सा) आया है

देख मुझे ऐसा, डर मत,
जैसे मैं ने (कोई) सर्वस्व लुटाया है,

कर साहस एक कदम बढ़ा,
क्षण अनंत होने को (मैंने) रचाया है,

बेहद की हदों के पार,
सहसा मोचन (जहां) मैं ने पाया है,

आओ! अपना विस्तार दिखाऊं तुम्हें,
आज ब्रह्माण्ड (इस) गौण की काया है ||

Aesthetic Blasphemy | Pencil sketch of the 'Agni mudra' (Open thumbed fist on another palm signifying flame and fire)