Uncertainty of being

जर्मन मूल के एक वैज्ञानिक हाइजेनबर्ग ने एक सिद्धान्त दिया था – अनिश्चितता का सिद्धान्त | उनका मानना था की हम कभी भी पूर्ण निश्चितता से नहीं बता सकते कि कोई सूक्ष्म अणु तत्व किसी एक समय पर कहाँ है और उसमें कितना वेग है | यदि हम वेग को पूर्णतः नाप लें, तो उसका स्थान अनिश्चित हो जाएगा, और यदि उसके स्थान को रेखांकित कर पाएं तो उसकी गति बदल जायेगी | इस सिद्धान्त ने एक कठिनाई तो हल कर दी, पर उसके उत्तर में एक पूरे विषय को जन्म दे दिया – संभावना | हम किसी भी अणु की किसी समय पर संभावित स्थिति और गति बता सकते हैं |

बड़े दिनों से मेरे मन में यह विचार चक्कर काटे जा रहा था कि मुझे हिंदी में अधिक लिखना चाहिए | इस विचार पर बल देने पर प्रतीत हुआ कि हाँ, यह सही रहेगा | आखिर प्रेरणा क्या है? निरूत्तर और निर्गुण सी एक प्रतीति जो भाषा के माध्यम से निकास करे? या कभी शिल्पकार के हाथों से घडी हुई प्रेम नक्काशी, या फिर रंगों में पनपती हुई एक जीवन शैली? उसके उद्गम में तो न रंग है, न भाषा, न पाषाण, न कोई मूर्ति और न ही कोई चेहरा, जो है वह कभी कोई नहीं देख पाया, विचार | उसे विचार नाम देना भी गलत होगा, क्योंकि विचारों की किसी न किसी रूप में अभिव्यक्ति हो पाती है, परन्तु वह जो है, क्या है, सब जानते हैं, पर कोई भी नहीं जानता | तो फिर क्या अंग्रेजी, क्या हिंदी, क्या भाषा और क्या कला | एक अनुभूति है, मेरी भी बस एक ऐसी ही अनुभूति थी जिसने प्रोत्साहन दिया के हर मंगलवार को हिंदी में कुछ लिखूं |

कभी-कभी शक होता है कि हाइजेनबर्ग वैज्ञानिक था या दर्शनशास्त्री जो कह गया कि जो है (चाहे जो भी है), उस पर कभी प्रकाश न डाल पाओगे, यदि प्रकाश डालोगे के तो संभव है कि वह उस रूप में तुमको दिखे, जिसमें तुमने उसकी कल्पना की थी, क्योंकि उसको देखने के लिए तुमने अभिलाषा कर दी, काम कर दिया, और उसके चलते वह, वह न रह गया जो वह था |

उन्होंने कितने आराम से वैज्ञानिकों को निश्शंक कर दिया, कि जिसको तुम समझने के लिए ढूँढ रहे हो उसे समझने के लिए उसे पकड़ना ज़रूरी नहीं है, केवल महसूस करने से या अवलोकन करने से भी तुम उसको जान सकते हो | उन्होंने यह तक कहा के कही तुमने उसे बाँध लिया, पकड़ लिया तो यह भी आवश्यक नहीं है कि वह तुम्हें सारे जवाब दे, क्योंकि कुछ प्रश्न ऐसे हैं जिनका जवाब उसमें नहीं, बल्कि उसके गतिमान होने भाव में हैं |

न उसका होना गलत हुआ, और न न होना ही गलत हुआ | और देखो, लोग सगुण और निर्गुण होने की युक्तियाँ लगा कर एक दूसरे का गला काटते फिरते हैं |

(I will try to write a translation in English too, but I won't promise)