मैं पानी सा होना चाहता हूं,
बहते पानी सा नहीं, और
न ही ठहरे हुए पानी सा,
बस, पानी सा

पुलकित हो कर भाप सा,
नभ में बादल बन विचरूं,
आशायें संझो कर, भारीपन,
बूंदो में खील-खील

बहा सको तो बहता नीर,
थाम लो, परिकल्पूं नीड़,
निःसंकोच सा, मग्न रहूं,
धीर धरूं और धार

मैं पानी सा होना चाहता हूं

Aesthetic Blasphemy | Sketch of water spilling from a glass as an allegory
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