मैं तो मर जाऊं अगर सोचने लग जाऊं उसे,
और वोह कितनी सहूलत से मुझे सोचती है,
कितनी खुश-फहम है वो शख्स के हर मौसम में,
एक नए रुख, नयी सूरत से मुझे सोचती है,मैं तो महदूद से लम्हों में मिला था उस-से
फिर भी वो कितनी वजाहत से मुझे सोचती है(Source: Sadiya Merchant)
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