तेरा जमाल निगाहों में ले के उठा हूँ
निखर गई है फ़ज़ा तेरे पैरहन की सी
नसीम तेरे शबिस्ताँ से होके आई है
मेरी सहर में महक है तेरे बदन की सी
~ फ़ैज़
तेरा जमाल निगाहों में ले के उठा हूँ
निखर गई है फ़ज़ा तेरे पैरहन की सी
नसीम तेरे शबिस्ताँ से होके आई है
मेरी सहर में महक है तेरे बदन की सी
~ फ़ैज़